सीकर राजस्थान के उत्तर-पूर्व में शेखावाटी क्षेत्र का एक जिला है। सीकर अपनी ऐतिहासिक धरोहर, भव्य हवेलियों, रंग-बिरंगे त्योहारों के लिए प्रसिद्ध है। शिक्षा के क्षेत्र में सीकर के बढ़ते प्रभाव के कारण वर्तमान समय में सीकर शहर शिक्षा नगरी के नाम से भी जाना जाने लगा है।
जयपुर से लगभग 120 किलोमीटर दुरी पर स्थित सीकर न सिर्फ अपने गौरवशाली इतिहास के लिए, बल्कि शिक्षा, संस्कृति और आधुनिक विकास के लिए भी जाना जाता है। यहाँ की मुख्य भाषा हिंदी और राजस्थानी है।
इतिहास की झलक
सीकर का इतिहास कई शताब्दियों पुराना है। सीकर जयपुर रियासत का सबसे बड़ा ठिकाना रहा है। सीकर में सात “पोल” (दरवाज़े) बने हुए हैं। ये ऐतिहासिक दरवाज़े हैं: बावड़ी गेट, फतेहपुरी गेट, नानी गेट, सूरजपोल गेट, दूजोड़ गेट पुराना, दूजोड़ गेट नया, और चाँदपोल गेट। कभी यह इलाका व्यापार का अहम केंद्र था, जहाँ दूर-दराज़ से व्यापारी आते थे और अपनी कला व संस्कृति यहाँ लाते थे।
सांस्कृतिक पहचान
सीकर की संस्कृति राजस्थान की पारंपरिक जीवनशैली का सुंदर मिश्रण है।
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त्योहार – गणगौर, तीज, होली और दीपावली यहाँ बड़े उत्साह से मनाए जाते हैं।
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लोककला – घरों और हवेलियों की दीवारों पर बनी भित्ति चित्रकारी (Fresco Paintings) और मांडना कला यहाँ की पहचान हैं।
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संगीत और नृत्य – लोकगीत और घूमर नृत्य त्योहारों में रौनक भर देते हैं। फाल्गुन के महीने में सीकर के लक्ष्मंगढ़ व फतेहपुर क्षेत्र में चंग व धमाल एक अलग ही माहौल बना देते हैं।
प्रमुख पर्यटन स्थल
सीकर और इसके आसपास कई दर्शनीय स्थल हैं, जो इतिहास, आस्था और प्राकृतिक सौंदर्य का संगम हैं:
र्हषनाथ मंदिर – अरावली की पहाड़ियों पर बसा प्राचीन शिव मंदिर, जहाँ से पूरे इलाके का सुंदर दृश्य दिखाई देता है। मानसून के समय हर्ष पर्वत का नजारा देखने लायक होता है। ना सिर्फ धार्मिक बल्कि पर्यटन की द्रष्टि से भी हर्षनाथ सीकर का महत्वपूर्ण स्थल है।
जीण माता मंदिर – जीण माता मंदिर सीकर ज़िले के प्रमुख शक्ति पीठों में से एक है। माना जाता है कि यह मंदिर लगभग 1000 साल पुराना है और यहाँ जीण माता की पूजा नवदुर्गा के रूप में की जाती है। नवरात्रों के समय यहाँ भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है, जो दूर-दूर से पैदल यात्रा करके दर्शन के लिए आते हैं। मंदिर परिसर का प्राकृतिक वातावरण और पहाड़ियों से घिरा शांत माहौल यहाँ आने वाले हर व्यक्ति को आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है।
खाटूश्याम जी – खाटूश्याम जी मंदिर पूरे भारत में प्रसिद्ध है और इसे भगवान श्रीकृष्ण के कलियुग के अवतार के रूप में पूजा जाता है। कहा जाता है कि महाभारत के वीर बार्बरीक को खाटू में ही श्याम नाम से पूजा जाने लगा। हर साल लाखों श्रद्धालु यहाँ दर्शन करने आते हैं, खासकर फाल्गुन मेले के समय यहाँ अद्भुत भीड़ और भक्ति का माहौल देखने को मिलता है। यह मंदिर न सिर्फ सीकर, बल्कि पूरे राजस्थान की धार्मिक पहचान है।
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रामगढ़ और फतेहपुर की हवेलियाँ – पास के कस्बों में स्थित, ये हवेलियाँ अपनी कलाकारी और चित्रकारी के लिए प्रसिद्ध हैं।
आधुनिक सीकर
वर्तमान समय में सीकर शिक्षा के क्षेत्र में भी तेजी से आगे बढ़ रहा है। यहाँ के कोचिंग सेंटर्स जो IIT-JEE और NEET की तैयारी करवाते हैं, पुरे देशभर में जाने जाते है| सीकर के इन कोचिंग्स और स्कूल्स में राजस्थान ही नहीं, पूरे देशभर से बच्चे पढने आते है।
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